
बिहार के पूर्णिया में रविवार की देर रात एक खौफनाक घटना घटी। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के आदिवासी बहुल गांव टेटगामा में एक ही परिवार के पांच लोगों को पहले जमकर पीटा गया, फिर जिंदा जला दिया गया। हत्या के बाद तीन महिलाओं और दो पुरुषों के शव गांव के लोग घटनास्थल से एक किलोमीटर दूर ले गए। ट्रैक्टर से शवों को ढोया गया। वहां जेसीबी की सहायता से शवों को जमीन में गाड़कर साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया गया। जहां शवों को दफन किया गया, वहां काफी जलकुंभियां उगी हुई हैं। गांव के लोगों को शक था कि परिवार की 70 वर्षीया वृद्धा डायन है। गांव में एक-दो बच्चों की मौत और एक बच्चे के बीमार होने की वजह वह इस वृद्धा को मानते थे।
वृद्धा के पोतै सोनू ने किसी तरह अपनी जान बचाई और पुलिस को घटना की जानकारी दी। सोमवार को पुलिस ने श्वान दस्ते की मदद से सभी शवों को बरामद कर लिया। घटना के बाद गांव के सभी लोग फरार हैं, घरों पर ताला लटका है। ओझा नकुल उरांव व ट्रैक्टर चालक सनाउल्लाह सहित एक अन्य को गिरफ्तार किया गया है।मरने वालों में विधवा कातो देवी, (70), उनके पुत्र बाबूलाल उरांव (50), इनकी पत्नी सीता देवी (40), बाबूलाल के पुत्र मनजीतकुमार उरांव (20) व पुत्रवधू रानी देवी (18) शामिल हैं। इस घटना में बाबूलाल उरांव के दूसरे पुत्र सोनू कुमार उरांव रात में घर से भाग गए थे। सोनू ने पुलिस व लोगों को बताया कि गांव में एक परिवार का बच्चा लंबे समय से बीमार चल रहा था। गांव वालों को शक था कि उनकी दादी कातो देवी डायन है और उसी ने बच्चे को बीमार कर दिया है।
रविवार को बच्चे की तबीयत बिगड़ी। इसके बाद गांव में ओझा का कौम करने वाले नकुल उरांव ने ग्रामीणों की बैठक बुलाई और लगभग 200 ग्रामीणों को वृद्धा के विरुद्ध भड़काया। एक माह पूर्व गांव के ही नरेश महतो के पुत्र की मौत हुई थी। नकुल उरांव के भड़काने पर ग्रामीणों ने आक्रोशित होकर कातो देवी के घर पर धावा बोला और पांचों लोगों का अपहरण कर इन्हें दूसरी जगह ले गए। इसके बाद पांचों के साथ जमकर मारपीट की गई, और इन्हें जिंदा जला दिया गया। श्वान दस्ते की मदद से पांचों शव बरामद कर लिए गए हैं। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दो लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। सभी आरोपितों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसमें स्पीडी ट्रायल के जरिये सजा दिलाई जाएगी। स्वीटी सहरावत, पुलिस अधीक्षक, पूर्णिया।