
पश्चिम बंगाल में एसएससी भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के विधायक जीवनकृष्ण साहा को फिर से गिरफ्तार कर लिया। उन्हें मुर्शिदाबाद जिले के कांदी स्थित आन्दी गांव में उनके पैतृक घर से पकड़ा गया।
आरोप है कि ईडी की टीम को देखते ही साहा ने भागने की कोशिश की और अपना मोबाइल फोन घर के पीछे झाड़ियों में फेंक दिया। बाद में तलाशी के दौरान फोन बरामद किया गया, लेकिन विधायक ने उसके पासवर्ड बताने से इनकार कर दिया। ईडी ने उन पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है।
सूत्रों के अनुसार, सोमवार सुबह से ईडी की कई टीमें राज्य के अलग-अलग जिलों में छापेमारी कर रही थीं। मुर्शिदाबाद में साहा के घर और उनके ससुराल में कार्रवाई की गई, वहीं रघुनाथगंज तथा आन्दी महीष गांव में एक बैंककर्मी के घर की भी तलाशी हुई। इसके अलावा, वीरभूम के साईंथिया में तृणमूल की वार्ड काउंसिलर माया साहा (जो जीवनकृष्ण की रिश्तेदार बताई जाती हैं) के घर पर भी छापेमारी की गई।
यह पहली बार नहीं है जब विधायक साहा पर कार्रवाई हुई हो। 17 अप्रैल 2023 को भी सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था। तब भी उन्होंने अपने दो मोबाइल फोन घर के पास स्थित तालाब में फेंक दिए थे, जिन्हें गोताखोरों की मदद से निकाला गया था। उस मामले में वे करीब 13 महीने जेल में रहे और बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। अदालत ने उन्हें जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था।
इस बार ईडी का आरोप है कि साहा न सिर्फ जांच में बाधा डाल रहे हैं बल्कि साक्ष्य मिटाने की भी कोशिश कर रहे हैं। इसी कारण उन्हें हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ की गई।
बताया जा रहा है कि ईडी ने इसी भर्ती घोटाले से जुड़े अन्य आरोपियों के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं। पुरुलिया जिले में ‘मिडलमैन’ कहे जाने वाले प्रसन्न रॉय के ससुराल में भी तलाशी की गई। रॉय इस समय जेल में हैं और उन पर एसएससी नियुक्तियों में दलाली करने का आरोप है।
जीवनकृष्ण साहा की गिरफ्तारी के बाद तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। विपक्ष ने इसे राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की पुष्टि बताते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से जवाब मांगा है।