
समस्तीपुर शहर के मोहनपुर रोड स्थित निजी क्लिनिक में प्रसूता के इलाज का खर्च पिता ने भैंस बेचकर चुकाया. इसके बाद भी बकाया रह गया. क्लिनिक वालों ने मरीज को रोक लिया. इसकी शिकायत पीड़ित पिता ने स्थानीय विधायक से की. विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहिन अस्पताल पहुंचे. बंधक बनी प्रसूता को मुक्त कराया. अस्पताल प्रबंधन को कड़ी फटकार भी लगायी. फिर उसे सदर अस्पताल भर्ती कराया. वहां उसका इलाज जारी है.
कर्पूरीग्राम थाने के डढ़िया गांव के वार्ड 15 निवासी राजेंद्र पासवान बेटी सुमन कुमारी को पिछले तीन सितंबर को प्रसव के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. वहां बिचौलियों ने बहला फुसलाकर मोहनपुर रोड स्थित एक निजी क्लिनिक में प्रसूता को भर्ती करा दिया. पिता ने बताया कि तीन सितंबर को निजी क्लिनिक में उसकी पुत्री ने दो बच्चों को जन्म दिया. हालांकि, बाद में दोनों की मौत हो गयी. इसके बाद वहां चिकित्सक प्रसूता को गंभीर बताकर इलाज करने लगे.
आठ दिन बीत गया. उसे मुक्त नहीं कर रहे थे. इस दौरान 90 हजार रुपये इलाज का खर्च बताया गया. इसके पास इतने रुपये नहीं थे. इसके बाद वह घर गया और भैंस 68 हजार रुपये में बेची. 50 हजार रुपये आसपास के लोगों से कर्ज भी लिया. क्लिनिक के संचालक को इलाज का खर्च जमा किया. मरीज को मुक्त करने की गुहार लगायी. अस्पताल प्रबंधक ने 20 हजार रुपये बकाया बताकर मरीज को रोक लिया था. वहीं, विधायक संचालित निजी क्लिनिक में इलाज ने कहा कि शहर में अवैध रूप से के नाम पर गरीबों का दोहन शोषण किया जा रहा है. सदर अस्पताल विचौलिये सक्रिय हैं. वह दूर दराज आने वाले मरीजों को गुमराह करते.