भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने देश की बैंकिंग प्रणाली में तरलता यानी नकदी के प्रवाह को बढ़ाने के लिए २.९० लाख करोड़ रुपये के नए उपायों की घोषणा की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बाजार में धन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है ताकि आर्थिक गतिविधियों को गति मिल सके और बैंक ग्राहकों को आसानी से ऋण दे सकें। आरबीआई ने यह कदम वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू बाजार की जरूरतों को देखते हुए उठाया है, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहे और ब्याज दरों में अनावश्यक उतार-चढ़ाव को रोका जा सके।
इन नए उपायों के अंतर्गत, केंद्रीय बैंक विभिन्न वित्तीय उपकरणों जैसे ‘ओपन मार्केट ऑपरेशंस’ (ओएमओ) और ‘टर्म रेपो’ के माध्यम से बाजार में पैसा डालेगा। बैंक इन संसाधनों का उपयोग अपने दैनिक परिचालन और ऋण वितरण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कर सकेंगे। इस कदम से न केवल बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, बल्कि आम उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए भी ऋण प्राप्त करना सुलभ हो जाएगा। आरबीआई की इस रणनीतिक घोषणा को अर्थव्यवस्था में विश्वास जगाने और सुस्त पड़ती विकास दर को पुनर्जीवित करने के एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
