पूर्वी भारत में जठरांत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) विकारों, किडनी से जुड़ी बीमारियों और जटिल हृदय रोगों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, मणिपाल हॉस्पिटल्स ग्रुप — जो पूर्वी भारत के अग्रणी हेल्थकेयर प्रदाताओं में से एक है — के अंतर्गत मणिपाल हॉस्पिटल, ईएम बाइपास ने आज दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर में अपनी प्रमुख पहल ‘अन्वेषणा – मेडिकल एजुकेशन फॉर मीडिया’ के तहत एक इंटरैक्टिव जागरूकता सत्र का आयोजन किया। इस सत्र में मणिपाल हॉस्पिटल, ईएम बाइपास के वरिष्ठ विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे —डॉ. सौरव मुखर्जी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग; डॉ. रोहित रुंगटा, कंसल्टेंट – नेफ्रोलॉजी; और डॉ. देबप्रिय मोंडल, कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी। विशेषज्ञों ने क्षेत्र में पाचन संबंधी रोगों, किडनी बीमारियों और हृदय रोगों के बढ़ते बोझ पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बदलते रोग पैटर्न, जीवनशैली से जुड़े जोखिम कारकों, समय पर निदान के महत्व और न्यूनतम इनवेसिव गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, उन्नत नेफ्रोलॉजी देखभाल तथा इंटरवेंशनल कार्डियक प्रक्रियाओं में हो रही प्रगति पर चर्चा की। इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप और विशेषज्ञ देखभाल तक पहुंच से उपचार के परिणाम और मरीजों की जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है।
संस्कृत शब्द “अन्वेषणा”, जिसका अर्थ है “खोज और अनुसंधान”, मणिपाल हॉस्पिटल्स की सहयोगात्मक शिक्षा, जिम्मेदार स्वास्थ्य संवाद और सामुदायिक जागरूकता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पहल पहले तामलुक, कांथी, बर्धमान, जमशेदपुर, आइजोल, मालदा, दिनाजपुर, दार्जिलिंग और बोलपुर में आयोजित की जा चुकी है और अब बारुईपुर तक पहुंची है। यहां विशेषज्ञों ने विभिन्न चिकित्सा विषयों से जुड़ी जटिल जानकारियों को सरल भाषा में समझाया और आम भ्रांतियों को दूर किया। ये सभी प्रयास दूरदराज़ क्षेत्रों में मरीजों के बेहतर उपचार परिणाम और समय पर विशेषज्ञ देखभाल सुनिश्चित करने की दिशा में संगठन की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हैं।
किडनी संबंधी रोगों की बढ़ती व्यापकता पर बोलते हुए डॉ. रोहित रुंगटा ने कहा, “क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़, एक्यूट किडनी इंजरी और जीवनशैली से जुड़ी किडनी समस्याएं जैसे डायबिटिक नेफ्रोपैथी और उच्च रक्तचाप के कारण होने वाली किडनी क्षति, पूर्वी भारत में तेजी से बढ़ रही हैं। शुरुआती चरणों में कई मरीजों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, जिससे निदान में देरी होती है और बीमारी गंभीर अवस्था में पहुंच जाती है। मणिपाल हॉस्पिटल, ईएम बाइपास में हमारा नेफ्रोलॉजी विभाग उन्नत जांच, डायलिसिस सेवाओं, क्रिटिकल केयर नेफ्रोलॉजी और प्रिवेंटिव रीनल केयर को एकीकृत करते हुए समग्र और मरीज-केंद्रित उपचार प्रदान करता है। समय पर पहचान, सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव से बीमारी की प्रगति को धीमा किया जा सकता है और लंबे समय में बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।” गैस्ट्रोएंटरोलॉजी से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सौरव मुखर्जी ने कहा, “फैटी लिवर डिज़ीज़, एसिड रिफ्लक्स, पेप्टिक अल्सर, इंफ्लेमेटरी बाउल डिज़ीज़ और लिवर से जुड़ी बीमारियां बदलती खानपान की आदतों, निष्क्रिय जीवनशैली और बढ़ते तनाव के कारण तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें से कई बीमारियां बिना लक्षणों के आगे बढ़ती हैं और जटिलताओं के बाद सामने आती हैं। मणिपाल हॉस्पिटल, ईएम बाइपास में हमारी गैस्ट्रोएंटरोलॉजी टीम उन्नत एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं, उच्च-स्तरीय डायग्नोस्टिक्स और प्रमाण-आधारित चिकित्सा प्रबंधन प्रदान करती है, जिससे समय पर निदान और प्रभावी उपचार संभव हो पाता है। न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों और समग्र पाचन देखभाल के माध्यम से हम मरीजों को सुरक्षित, समय पर और व्यक्तिगत उपचार समाधान उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
