August 25, 2025
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हिमाचल प्रदेश में मानसून ने इस बार जून में ही विकराल रूप धारण कर लिया है। आमतौर पर जुलाई-अगस्त में तबाही मचाने वाला मानसून इस बार 20 जून को दस्तक के साथ ही कहर बरपा रहा है। बीते 8 दिनों में राज्यभर में बारिश जनित घटनाओं में 34 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 74 से अधिक लोग घायल हुए हैं। वहीं, 4 लोग अब भी लापता हैं। भारी तबाही के चलते राज्य में सरकारी व निजी संपत्ति को 71 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार 20 जून से 28 जून के बीच हुई घटनाओं में सबसे ज्यादा 17 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। इसके अतिरिक्त फ्लैश फ्लड में 7, पानी के तेज बहाव में बहने से 4, पहाड़ी से फिसल कर गिरने से 2, बिजली का करंट लगने से 2, सांप के काटने से 1 और अन्य कारणों से 1 व्यक्ति की जान गई है। अकेले कांगड़ा जिले में फ्लैश फ्लड से 6 लोगों की जान गई है।

इस अवधि में 38 मवेशियों की मौत, 6 मकानों के पूरी तरह ध्वस्त होने और 17 मकानों के आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने की सूचना है। इनमें सबसे ज्यादा नुकसान कुल्लू जिले में सामने आया, जहां 10 घर प्रभावित हुए। इसके अलावा 7 दुकानें, 9 पशुशालाएं और एक घराट भी पूरी तरह से तबाह हो गए हैं।

प्राकृतिक आपदा से सरकारी विभागों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार जलशक्ति विभाग को 38.56 करोड़ और लोक निर्माण विभाग को 30.76 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इन आंकड़ों के अनुसार राज्य को अब तक कुल 71.19 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति क्षति का सामना करना पड़ा है।

इस बीच प्रदेश में बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मौसम विभाग ने राज्य में आगामी 5 जुलाई तक भारी बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। विशेष रूप से 29 और 30 जून को “ऑरेंज अलर्ट” जारी किया गया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर प्रदेश के अन्य 10 जिलों में अगले 24 घंटों में फ्लैश फ्लड की आशंका है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदी-नालों व पहाड़ी ढलानों से दूर रहें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रशासन से संपर्क करें।

इस बीच राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट मोड पर हैं। जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें तैनात की गई हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत राहत व पुनर्वास कार्यों में तेजी लाएं और हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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