
मुजफ्फरपुर, बेला थाना में नष्ट करने को रखी गई जब्त शराब तस्कर को दे दिए जाने के मामले में चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। थाना से बुधवार को शराब धंधेबाज धिरनपट्टी निवासी मो. शहादत कार पर शराब की खेप लादकर निकला तब थानेदार रंजना वर्मा थाने में ही मौजूद थीं। शराब विनष्टीकरण के लिए थाने के निजी मुंशी ने धंधेबाज शहादत से ही जेसीबी और मजदूर लिए थे। मजदूर और जेसीबी के भाड़े के एवज में उसे 17 कार्टन जब्त शराब दी गई थी। आशंका है कि पहले भी जब्त शराब थाने से बाहर निकाली गई है। अब थाने के जब्त स्टॉक और नष्ट कराई गई शराब के ब्योरे का मिलान कराया जा रहा है। मामले में थानेदार रंजना वर्मा के प्रतिवेदन के आधार पर बेला थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें व्यानेदार ने कहा यया है कि मुशहरी सीओ की मौजूदगी में वह शराब विनष्टीकरण करा रही थी। इसी दौरान सूचना मिली कि थाने से शराब लेकर कार निकली है। सूचना के आधार पर जब वह धिरनपट्टी पहुंचीं तो वहां एसडीपीओ टाउन वन सीमा देवी पहुंच चुकी थीं। पुलिस टीम शराब लदी कार जब्त कर थाने लाई। शहादत को गिरफ्तार कर लिया गया। उससे पूछताछ के आधार पर थाने के निजी मुंशी सुजीत कुमार की इसमें संलिप्तता पाई गई। इसके बाद बेला छपरा गांव निवासी सुजीत को भी गिरफ्तार कर लिया गया। थाने से ले जाई गई अलग-अलग ब्रांड की 17 कार्टन शराब कार से बरामद हुई।
मिठनपुरा थानेदार को बनाया गया मामले में जांच अधिकारी : बेला थाने से शराब की खेप माफिया को सौंपने के मामले की जांच के लिए मिठनपुरा थानेदार राम इकबाल प्रसाद को जांच अधिकारी बनाया गया है। मिठनपुरा थानेदार यह पता लगाएंगे कि थाने से शराब की खेप माफिया को सौंपने में क्या केवल निजी मुंशी ही जिम्मेवार है। इसमें थानेदार रंजना वर्मा कितनी दोषी हैं।
सूचक बन गई थानेदार, उठ रहे गंभीर सवाल बेला थाने से शराब की खेप माफिया को दे दिए जाने के मामले में बेला थानेदार रंजना वर्मा ने खुद सूचक बन गई हैं। सामान्य तौर पर किसी केस के सूचक व वादी के खिलाफ कार्रवाई काफी मुश्किल होती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि थानेदार की मौजूदगी में हो रहे विनष्टीकरण के बीच थाने से कार पर 17 कार्टन शराब कैसे लाद ली गई? क्या उन्हें अपने सामने हुई यह गड़बड़ी नजर नहीं आई? क्या निजी मुंशी ने अकेले यह कर लिया? मामले में मिठनपुरा थानेदार की जांच के दौरान ऐसे कई सवालों का बेला थानेदार को सामना करना पड़ सकता है।