
साइबर ठगों ट्राइ के नाम पर युवक को फोन किया और दो घंटे में सिम बंद होने की धमकी देते हुए उन्हें जाल में फंसाया। डराने के लिए उनके खिलाफ मुंबई में केस दर्ज होने की बात कही। फिर सीबीआइ अधिकारी बनकर ठगों ने उन्हें 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट रखा। उनके मोबाइल पर फर्जी अरेस्ट वारंट सहित मनी लांडिंग का फर्जी पेपर भेजकर डराया और बैंक भेजकर उनसे दो बार में आरटीजीएस के जरिए 44 लाख रुपये अलग अलग खाते में ट्रांसफर करा लिये। पीड़ित को जब ठगी का एहसास हुआ तब साइबर थाने में इसकी शिकायत की।
साइबर थाने की पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच में जुटी है। पाटलिपुत्र निवासी युवक के पास अंजान नंबर से फोन आया। बोला गया कि आपका मोबाइल नंबर दो घंटे में बंद हो जाएगा। क्योंकि आपके मोबाइल नंबर पर महाराष्ट्र के ईस्ट अंधेरी पुलिस स्टेशन में केस हुआ है। अंधेरी पुलिस स्टेशन का कंप्लेन नंबर भी बताया। बोला गया कि अंधेरी में जिस युवक के नाम पर मनी लांड्रिंग का मामना सामने आया है उसने आपके आधार कार्ड के जरिए सिमकार्ड व एटीएम कार्ड लेकर करोड़ों रुपये का ट्रांजेक्शन किया है। इसलिए आपके नाम पर सीबीआइ ने अंधेरी पुलिस स्टेशन में केस किया है। इसके बाद उसने उनका नंबर दूसरे ठग के नंबर पर ट्रांसफर कर दिया गया।
बोला गया कि उनसे सीबीआइ के साइबर थाने में तीन दिनों में 36 केस किए दर्ज साइबर थाने में बीते तीन दिनों में तीन से पांच जनवरी के बीच ठगी के 36 मामले दर्ज किए जा चुके है। इसमें बिजली मीटर अपडेट, शेयर ट्रेडिंग, क्रेडिट कार्ड अपडेट, आनलाइन शापिंग और पैसे भेजने का फर्जी मैसेज भेजकर ठगी के मामले सबसे अधिक है। इन सभी मामलों में केस दर्ज कर पुलिस छानबीन कर रही है। अधिकारी पूछताछ करेंगे। इसके बाद उन्हें डिजिटल अरेस्ट बताते हुए डराने के लिए उनके वाट्सएप पर अरेस्ट वारंट भेजा गया। इस तरह उन्हें ठग अपने जाल में फंसाते गए और 24 घंटे तक वीडियो काल पर निगरानी करते रहे। पूछताछ के नाम पर उनसे बैंक खाता सहित अन्य जानकारी मांगी गई और बैंक भेजकर उनसे ठगों ने अपने खाते में दो बार में 44 लाख रुपये आरटीजीएस कराया। वह तीन दिनों तक ठगों के जाल में फंसे रहे। पैसा जमा करने के बाद उन्हें ठगी का एहसास हुआ। फिर साइबर थाने में केस किया।