
पटना भारतीय प्रौधोगिको संस्थान (आइआइटी) पटना में बुधवार को स्ट्रक्चरल और जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग विषय पर गुरुवार को तीन दिवसीय आरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभहुआ। विशेषज्ञों ने कहा कि भविष्य जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग का है। इंडियन सोसायटी आफ अर्थक्वेक टेक्नालाजी के अध्यक्ष प्रो. बीके माहेश्वरी ने कहा कि भारत सीमेंट क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यहां निर्माण उद्योग का कुल जोडोपी में आठ प्रतिशत का योगदान है। भारत में तेजी से निर्माण कार्य डो रहे हैं। आगामी कई दशकों तक भवन, रोड, पुल सहित सभी क्षेत्र में निर्माण काफी होना है।
भारत तेजी से गुणवत्तापूर्ण निर्माण की ओर बढ़ रहा है। बाजार में गुणवत्तापूर्ण निर्माण वालों की मांग बढ़ेगी। सिविल इंजीनियरिंग में शोध एवं करियर की असीम संभावनाएं हैं। उद्घाटन सत्र में निदेशक प्रो. टीएन सिंह ने कहा कि स्ट्रक्चरल विकास में जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमें मजबूत और टिकाऊ इन्फ्रास्ट्रक्चर कम लागत में बनाने की चुनौती है। जियोटेक्निकल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग साथ मिलकर इसका समाधान उपलब्ध करा सकता है। उन्होंने कहा कि आइआइटी पटना भूकंपरोधी निर्माण के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा दे रहा है। इंडियन कंक्रीट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डा. वी रामचंद्र ने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए टिकाऊ कंक्रीट समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इको-फ्रेंडली सामग्री और नवीन निर्माण तकनीकों में हो रही प्रगति पर प्रकाश डाला।
लंबी अवधि के लिए टिकाऊ निर्माण है बड़ी चुनौती एआइसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टीजी सिताराम ने कहा कि लंबी अवधि के लिए टिकाऊ निर्माण इस क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अयोध्या में राम मंदिर के जियोटेक्निकल डिजाइन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसे एक हजार वर्षों तक टिकाऊ बनाने के लिए विकसित किया गया है। जिसमें उन्नत सेटलमेंट नियंत्रण, लोड ट्रांसफर और पर्यावरणीय टिकाऊपन को भी ध्यान रखा गया है। कनाडा से आए डा. शाहब यासरेबी ने साफ्ट ग्राउंड टनलिंग के लिए अत्याधुनिक खुदाई तकनीकों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन में पुलों, सुरंगों और ऊंची इमारतों, जियोटेक्निकल भूकंपीय इंजीनियरिंग, जियो पर्यावरणीय और बायोजिओ टेक्निकल इंजीनियरिंग, स्टील और कम्पोजिट संरचनाएं, उन्नत संरचनात्मक विश्लेषण और डिजाइन, ग्राउंड सुधार और ऊर्जा जियोटेक्निक्स, मिट्टी और चट्टान गतिशीलता, नई पीढ़ी के निर्माण सामग्री जैसे विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए हैं। सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डा. अमित कुमार वर्मा, डा वैभव सिंघल और अरविंद प्रकाश झा ने अतिथियों का स्वगात करते हुए सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला इसमें 24 विशेष सत्र, 24 की नोट टाक और 170 से ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। देश और विदेश के अकादमिक, उद्योग और सरकारी क्षेत्र के 250 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए हैं।