October 14, 2025
Do not neglect high fever, see a doctor on time

इन दिनों राजधानी समेत देश के कई हिस्सों में अस्पतालों में मरीजों की भीड़ देखी जा रही है। बड़ी संख्या में लोग ऐसे वायरल बुखार से पीड़ित हैं, जो सामान्य दवाओं जैसे पैरासिटामोल से आसानी से ठीक नहीं हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि इसकी वजह दवा की अक्षमता नहीं, बल्कि इस साल के वायरल इंफेक्शन की तीव्रता और मरीजों की शारीरिक स्थिति है।

तेज और लंबे समय तक रहने वाला बुखार:
पीएसआरआई अस्पताल के इमरजेंसी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रशांत सिन्हा ने बताया, “इस मौसम में वायरस की तीव्रता पहले के मुकाबले कहीं अधिक है। इसी कारण केवल पैरासिटामोल से बुखार को पूरी तरह से काबू में लाना मुश्किल हो रहा है।”

डॉ. सिन्हा के अनुसार, शरीर में पानी की कमी, कुपोषण, गलत तरीके से दवा लेना या सही समय पर न लेना – ये सब कारण दवा के असर को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, डेंगू, फ्लू, टाइफाइड या बैक्टीरियल इंफेक्शन से होने वाला बुखार भी पैरासिटामोल से आसानी से कम नहीं होता।

बुखार का कारण जानना ज़रूरी:
एक अन्य विशेषज्ञ ने बताया, “पैरासिटामोल मुख्यतः दिमाग के तापमान नियंत्रण केंद्र पर काम करता है, जिससे बुखार कम होता है। लेकिन अगर वायरस या बैक्टीरिया अधिक शक्तिशाली हो, तो इसका असर अधूरा रह सकता है।”

डॉक्टरों की सलाह है कि अगर 48 घंटे तक बुखार बना रहे और सही मात्रा में दवा लेने के बाद भी न घटे, या बुखार 102–103 डिग्री फ़ारेनहाइट से ऊपर हो जाए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सिरदर्द, सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, उल्टी, त्वचा पर रैश, पेट दर्द या अत्यधिक कमजोरी जैसे लक्षण दिखें तो देर न करें।

बच्चों, बुजुर्गों और क्रॉनिक रोगियों के लिए खतरा ज़्यादा:
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि बच्चे, बुजुर्ग, डायबिटीज, हृदय रोग या कम इम्यूनिटी वाले मरीजों के लिए हल्का बुखार भी गंभीर हो सकता है। ऐसे मामलों में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

बुखार का स्रोत पता लगाना ज़रूरी:
चिकित्सकों के अनुसार, केवल वायरल इंफेक्शन ही नहीं, बल्कि न्युमोनिया, यूरिन इंफेक्शन और टाइफाइड जैसे रोग भी लंबे समय तक बुखार का कारण बन सकते हैं। इसलिए सिर्फ बुखार को दबाना नहीं, बल्कि उसका स्रोत पहचानना और उचित परीक्षण जैसे ब्लड टेस्ट, डेंगू या फ्लू टेस्ट, एक्स-रे आदि कराना जरूरी है।

यदि बैक्टीरियल संक्रमण की पुष्टि होती है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दे सकते हैं। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि मरीज को स्वेच्छा से कोई भी एंटीबायोटिक या तेज़ असर वाली दवा नहीं लेनी चाहिए।

सावधानी ज़रूरी है:
डॉक्टरों का अंतिम संदेश है कि हल्के बुखार में पैरासिटामोल अभी भी प्रभावी है, लेकिन अगर बुखार लंबे समय तक बना रहे या लक्षण बिगड़ते जाएं, तो दवाओं पर निर्भर न रहकर तुरंत इलाज शुरू करना ही समझदारी है। बुखार को नजरअंदाज करने के बजाय उसके पीछे का कारण जानकर इलाज कराना ही जीवन रक्षक कदम हो सकता है।

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