
यूट्यूबर एल्विश यादव को सोमवार को कानूनी झटका लगा, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादास्पद सांप के जहर मामले में उनके खिलाफ जारी आरोपपत्र और समन को रद्द करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले का मतलब है कि अब मामला ट्रायल के लिए आगे बढ़ेगा।
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने मौखिक रूप से खारिज करते हुए कहा कि एफआईआर और चार्जशीट दोनों में कई आरोपों की ट्रायल के दौरान विस्तार से जांच की जानी चाहिए। अदालत ने पाया कि यादव ने केवल चार्जशीट और समन का विरोध किया था, एफआईआर का नहीं।
यादव के वकील ने तर्क दिया कि एफआईआर दर्ज करने वाले शिकायतकर्ता के पास वन्यजीव अधिनियम के तहत कानूनी अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा किया कि शिकायतकर्ता ने पशु कल्याण अधिकारी होने का झूठा दावा किया था और उसके पास मामला शुरू करने का कोई आधार नहीं था। वकील ने यह भी तर्क दिया कि यादव से कोई मादक या मनोदैहिक पदार्थ बरामद नहीं हुआ था और वह विचाराधीन पार्टी में मौजूद नहीं था।
हालांकि, अभियोजन पक्ष ने कहा कि यादव द्वारा कथित तौर पर आपूर्ति किए गए व्यक्तियों से सांप का जहर बरामद किया गया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सबूत नोएडा में रेव पार्टियों में प्रतिबंधित पदार्थों के इस्तेमाल को सुविधाजनक बनाने में उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी की ओर इशारा करते हैं।
हाई कोर्ट द्वारा याचिका में कोई दम न पाए जाने के बाद, यादव पर अब उन पार्टियों के आयोजन के आरोपों पर मुकदमा चलेगा, जहां कथित तौर पर सांप के जहर सहित अवैध पदार्थ वितरित और सेवन किए गए थे। मामले में यह दावा भी शामिल है कि विदेशी नागरिक भी उन पदार्थों के संपर्क में आए थे।