जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल का रविवार को समापन हुआ. कार्यक्रम के अंतिम दिन पंचायत वेब सीरीज फेम पंकज झा उर्फ विधायक जी व पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने समां बांध दिया. ‘उड़ता पंजाब’ फेम फिल्म निर्देशक अभिषेक चौबे व अभिनेता पंकज झा से बेबाक संवाद में जहां अभिषेक चौबे ने फिल्म जगत की तल्ख सच्चाइयों व चुनौतियों पर चर्चा की, वहीं पंकज झा ने बेबाक तरीके से बात रखते हुए कहा कि सिनेमा को बंद कर देना चाहिए, इसने नुकसान ही किया है. राजस्थान से आयी पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने कालबेलिया नृत्य के माध्यम से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता जबकि अन्य अतिथियों में एसएसपी पीयूष पांडेय, टाटा स्टील के वाइस पेे्रसीडेंट कॉरपोरेट सर्विसज डी बी सुन्दर रामम शामिल हुए। विद्या फाउंडेशन की ओर से आयोजित जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन वयोवृद्ध साहित्य गौरव सम्मान से पांच अलग-अलग विभूतियों का सम्मान किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि प्रेम जनमेजय 85 वर्ष के ऊपर के डा. सी भास्कर राव, लक्ष्मी निधि व्हील चेयर पर लाए गए।
भावुक पल था जब डा भास्कर व डा. निधि ने अपने आशीर्वाद साहित्यकारों को दिए. वरिष्ठ साहित्यकार भास्कर राव की भावनात्मक उद्बोधन से सबों की आंखें नम हो गई. अरविन्द विद्रोही हृदय रोग से ग्रसित 90 वर्ष की उम्र में साहित्यकारों को अपने प्रेरणादायक उद्बोधन से माहौल को ऊर्जा से ओतप्रोत कर दिया. इनके अलावा डा. जूही समर्पिता को बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग की स्थापना के लिए विशेष सम्मान दिया गया. कथाकार जयनन्दन को साहित्यिक योगदान के लिए दिया गया. हरि मित्तल को नाटकों के माध्यम से हिन्दी के प्रचार- प्रसार के लिए कमल किशोर अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, सुखदेव महतो, गोविन्द दोदराजका, प्रसेनजीत तिवारी, डा. रागिनी भूषण, डा. मुदिता चंद्रा, डा. संध्या सिन्हा , सहयोग की सचिव विद्या तिवारी को हिन्दी के प्रसार में अपना अमूल्य योगदान देने के लिए सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का संचालन डा. संध्या सिन्हा ने किया।
लकीरों में छुपा सच: हिन्दी कार्टून की ताकत पर परिचर्चा जमशेदुपर लिटरेचर फेस्टिवल में ‘लकीरों में छुपा सच हिन्दी कार्टून की ताकत’ परिचर्चा में मशहूर कार्टूनिस्ट आबिद सुरती (ढब्बू जी कार्टून के जनक) द मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में कार्टूनिस्ट का काम जोखिमपूर्ण हो चला है. इस परिचर्चा में कार्टून, पोर्टेट, कैरिकेचर के फर्क के बारे में बताया गया। जनजातीय चित्रकाराी को संरक्षित व बढ़ावा देने की जरूरत जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जनजातीय चित्रकारी में अलग मुकाम बना चुके मशहूर आर्टिस्ट मनीष पुष्कले व भज्जू सिंह श्याम ने कैनवास के रंग पर परिचर्चा करते हुए जनजातीय चित्रकारी को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की बात कही. इस चर्चा में इस बात पर बल दिया गया कि सृजन के लिए एक जुनून की जरूरत होती है, जो खोनी नहीं चाहिए. इस परिचर्चा से पहले चित्रकारी पर वर्कशॉप का भी आयोजन हुआ जिसमें पुनीता मिश्रा व आकांक्षा सिंह ने भाग लिया।
