
बंगाल विधानसभा अगस्त महीने में एक विशेष सत्र आयोजित कर सकती है, जिसमें भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों पर कथित उत्पीडऩ और प्रताडऩा को लेकर औपचारिक प्रस्ताव लाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, यह सत्र 8 अगस्त से 21 अगस्त के बीच बुलाया जा सकता है। इस विशेष सत्र में दो प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। ये प्रमुख मुद्दे अन्य राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों पर कथित हमले और उन्हें बांग्लादेशी कहकर अपमानित किए जाने का आरोप हो सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस विषय पर सत्तारूढ़ पार्टी के साथ प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है। हालांकि अंतिम निर्णय अभी बाकी है। प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसे विधानसभा अध्यक्ष विमान बंदोपाध्याय के कार्यालय में राज्य के संसदीय कार्य विभाग द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आयोजित शहीद दिवस रैली के दौरान जोरदार तरीके से बांग्ला अस्मिता (बंगाली पहचान) का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बंगाली भाषा और संस्कृति के खिलाफ किसी भी प्रकार की भाषाई आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ममता बनर्जी ने कहा था कि हम बंगाल में दूसरी भाषा आंदोलन शुरू करेंगे। अगर अन्य राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों को गिरफ्तार किया गया तो आंदोलन दिल्ली तक पहुंचेगा। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि उनकी पार्टी 27 जुलाई से राज्य भर में इस मुद्दे पर विरोध कार्यक्रम शुरू करेगी। इस मुद्दे को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने संसद में भी प्रदर्शन किया।
पार्टी इस विषय को आने वाले 2026 विधानसभा चुनाव से पहले बंगाली पहचान के मुद्दे के तौर पर प्रमुखता से उठाने की तैयारी में है। विशेष सत्र और प्रस्ताव के जरिए ममता बनर्जी की सरकार बीजेपी शासित राज्यों में बंगालियों के साथ हो रहे कथित भेदभाव को राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बनाना चाहती है। इसे आगामी चुनावों में बंगाली स्वाभिमान और भाषा गौरव के मुद्दे के रूप में भुनाया जा सकता है।