October 14, 2025
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बड़े पैमाने पर पांच-पांच सौ रुपये के नकली नोटों की छपाई और सप्लाई के खेल का पटना पुलिस ने बुधवार को भंडाफोड़ किया। इस खेल में पति- पत्नी शामिल थे, जो लंबे समय से बाजार में नकली नोटों का संचालन कर रहे थे। यह धंधा सालिमपुर थाना क्षेत्र के रुकनपुरा गांव स्थित मां कम्युनिकेशन नामक दुकान से चल रहा था। पुलिस ने दुकान मालिक संतोष कुमार और नकली नोटों की सप्लायर प्रियंका कुमारी को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, प्रियंका का पति प्रभात कुमार और सहयोगी. सोनू कुमार भागने में कामयाब रहे।

गिरफ्तारी को छापेमारी चल रही है। इसकी जानकारी ग्रामीण पुलिस अधीक्षक रौशन कुमार ने दी। दुकान और प्रियंका के घर को मिला कर नौ लाख 84 हजार रुपयों के नकली नोट पकड़े गए। इनमें पांच-पांच सौ रुपये के 1201 नोट तैयार कर लिए गए थे, जबकि दो लाख 10 हजार के नकली नोटों की छिपाई के बाद काटा नहीं गया था। एक लाख 74 हजार नकली नोटों की छपाई में प्रयुक्त उपकरण के नकली नोट बंडल में बंधे थे। इसके अलावा छह नोटों की छपाई सही नहीं हुई थी, जिन्हें जालसाजों ने दो टुकड़ों में काट दिया था। नोटों की छपाई में प्रयुक्त पेपर के अलावा मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना समेत कई योजनाओं के जाली दस्तावेज, बैंक पासबुक एवं चेक आदि मिले। दुकान में ही चल रहा था सीएसपी काउंटर मां कम्युनिकेशन नामक जनरल स्टोर में ही सीएसपी काउंटर का संचालन किया जा रहा था। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने वहां दबिश दी तो प्लास्टिक की टोकरी में नोटों के बंडल मिले। संतोष के हाथ में सफेद रंग का प्लास्टिक का थैला था, उसमें भी नोट भरे थे। संदेह होने पर पुलिस ने जांच की तो सभी नोट नकली मिले। पूछताछ के बाद संतोष ने बताया कि प्रभात और प्रियंका नकली नोटों का कारोबार करते हैं। इसकी छपाई वे घर पर करते हैं। सीएसपी से जो ग्राहक रुपयों की निकासी करने आते थे, उन्हें वही नकली नोट देते थे।

जाली दस्तावेजों पर दिलाते थे योजनाओं का लाभ : दुकान से पुलिस ने प्रियंका कुमारी का नाम अंकित लिफाफा बरामद किया, जिसपर मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना 2023 भी लिखा था। लिफाफे पर ई-गर्वनेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड का मुहर लगा था। हालांकि, उसके अंदर रद्दी कागज थे। दूसरा लिफाफा वासमति देवी के नाम पर था। उस पर प्रधानमंत्री आवास योजना की दूसरी किस्त में 40 हजार लिखा था। पूछताछ में प्रियंका ने बताया कि वह विभिन्न आर्थिक योजनाओं का नकली सर्टिफिकेट बनाकर लाभुकों को देती है। इसके बदले अंकित राशि का आधा हिस्सा लेती थी।

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