कोलकाता और उसके पड़ोसी शहर हावड़ा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के स्तर में खतरनाक वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि, यह स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तुलना में बेहतर है, लेकिन फिर भी विशेषज्ञों ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है। एक तुलनात्मक अध्ययन से पता चला है कि हावड़ा में एक्यूआई का स्तर कोलकाता से अधिक चिंताजनक है।
मंगलवार दोपहर तक विभिन्न एक्यूआई मॉनिटरिंग स्टेशनों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, कोलकाता और हावड़ा में औसत एक्यूआई स्तर 222 से 293 के बीच दर्ज किया गया, जो “बैंगनी” श्रेणी यानी “अत्यंत अस्वस्थ” के अंतर्गत आता है। इस श्रेणी में सभी के लिए स्वास्थ्य प्रभाव का जोखिम बढ़ जाता है। कोलकाता के सात मॉनिटरिंग स्टेशनों में से दो स्टेशनों में एक्यूआई स्तर 223 से 227 के बीच है, जो “बैंगनी” श्रेणी में आता है।
वहीं, शेष पांच स्टेशनों में यह स्तर 176 से 195 के बीच है, जो “लाल” श्रेणी यानी “अस्वस्थ” के अंतर्गत आता है। इस श्रेणी में आम लोगों के लिए स्वास्थ्य प्रभाव हो सकते हैं, जबकि संवेदनशील समूहों के लिए गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा, दो स्टेशनों में एक्यूआई स्तर 137 दर्ज किया गया, जो “नारंगी” श्रेणी यानी “संवेदनशील समूहों के लिए अस्वस्थ” के अंतर्गत आता है।इस श्रेणी में संवेदनशील समूहों के लिए स्वास्थ्य प्रभाव की संभावना रहती है, लेकिन आम जनता पर इसका प्रभाव कम होता है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से निपटने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी है।
मंत्रालय ने कहा है कि कमजोर वर्ग जैसे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, पहले से बीमार लोग और प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले कामगार विशेष रूप से जोखिम में हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मौजूदा स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और संवेदनशील समूहों व जोखिम वाले व्यवसायों के बीच जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण स्तर से बचने के लिए लोगों को एहतियाती कदम उठाने चाहिए, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों को बाहर जाने से बचना चाहिए।